हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है, हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जाना बेहत जरूरी माना जाता है । ऐसा माना जाता है कि यदि श्राद्ध ना किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है, इसीलिए पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए विधि पूर्वक श्राद्ध किया जाता है । हिन्दू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है । कुछ लोगों की कुंडली में पितृदोष का योग बनता है। जिन लोगों की कुंडली में अगर पितृ दोष होता है, उन्हें संतान से जुड़ी परेशानियां बनी रहती हैं। इसके अलावा घर में आर्थिक परेशानियां और बीमारियां भी बनी रहती हैं । ज्योतिष शास्त्रों में पितृ दोष से बचने के कई उपाय भी बताए गए हैं ।
पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं । इस वर्ष 1 सितंबर से शुरु हुए पितृ पक्ष 17 सितंबर तक चलेंगे । पितृ पक्ष में हर दिन सुबह और शाम को जब भी घर पर रोटी बने पहली रोटी गाय को निकालकर अलग कर देना चाहिए । एक रोटी गाय को और एक रोटी कुत्ते को खिलाने से पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है । हर महीने की अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान और पितर देवों के लिए तर्पण, श्राद्ध और धूप-ध्यान करना चाहिए। पितर पक्ष में यह काम तो जरूर करना चाहिए ।
पितृ पक्ष में हर दिन पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध के साथ जल मिलाकर चढ़ाना चाहिए । इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और पितृदोषों से मुक्ति भी मिलती है । ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर किसी ना किसी रूप में इस धरती पर आते हैं । ऐसे में हर दिन, विशेषकर अमावस्या पर कौओं को खाना खिलाने के लिए घर की छत पर भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े करके फैला देना चाहिए । इससे भी पितर देवता प्रसन्न होते हैं । इसके साथ-साथ किसी गरीब ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिये। वेदों का अध्ययन करने वाले ब्राह्मण को अध्ययन सामग्री का दान करने से भी पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
एक बात हमेशा याग रखें कि पितृ पक्ष के दिनों में कभी भी नए काम का शुभारंभ, नई वस्तु, नए कपड़ों आदि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए । संभव हो तो जीवन में एक बार गया जाकर पितरों का पिंडदान अवश्य करना चाहिए । इसके अलावा नलकूप, धर्मशाला, वृद्धाश्रम आदि में भी दान ज़रूर करें । इसके अलावा बात अगर पितृ पक्ष में पूजा पाठ की करें तो गीता, भागवत पुराण, विष्णु सहस्रनाम, गरुड़पुराण, गजेंद्र मोक्ष, गायत्री मंत्र आदि का पाठ भी किसी ब्राह्मण से करवाना चाहिये। गंगा घाट हरिद्वार, काशी, प्रयाग आदि तीर्थ स्थलों में पितृ पक्ष के दौरान पितरों के नाम से पिंड दान दें तो इससे भी पितृदोष कम हो सकता है । यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है या फिर आप अपने जीवन में काफी परेशानियों का सामना कर रहें हैं तो टीवी एवं मीडिया विख्याल ज्योतिषाचार्य पवन गोयल राय जी से परामर्श ज़रूर लें और उनके ज्योतिष उपायों को अपनाकर ज़रूर देखें ।